Tuesday 26 July 2016

लोकप्रिय गीत कवि माहेश्वर तिवारी के जन्मदिन पर सम्मानित हुए कवि

सबसे बाएं श्री माहेश्वर तिवारी ,यश मालवीय ,ब्रज भूषण सिंह गौतम
 हरिपाल त्यागी फिर मैं जयकृष्ण राय तुषार पीछे भाई योगेन्द्र व्योम 


माहेश्वर तिवारी के रचना कर्म की षष्ठिपूर्ति और 
अस्सीवें जन्मदिन पर सम्मानित हुए पांच रचनाकार 

२२ जुलाई की शाम मुरादाबाद में बहुत ही यादगार रही अवसर था गीत /नवगीत के वरिष्ठ और लोकप्रिय हस्ताक्षर आदरणीय माहेश्वर तिवारी जी के जन्मदिन और उनके रचनाकर्म की षष्ठिपूर्ति मनाये जाने का | किसी कवि के रचनाकर्म की षष्ठिपूर्ति मनाये जाने का संभवतः यह प्रथम अवसर रहा होगा | इस सुखद अवसर पर उनके गीतों की संगीतमय प्रस्तुति उनकी धर्मपत्नी संगीत मर्मग्य श्रीमती बालसुन्दरी तिवारी जी ने किया |इसके बाद 'माहेश्वरतिवारी नवगीत सृजन सम्मान' से डॉ राजेन्द्र गौतम दिल्ली ,श्री हरिपाल त्यागी दिल्ली ,श्री ब्रजभूषण सिंह गौतम मुरादाबाद यश मालवीय और मुझको [जयकृष्ण रायतुषार] को शाल सम्मान पत्र वाग्देवी की प्रतिमा और पांच हजार की राशि से सम्मानित किया गया | कार्यक्रम का अद्भुत संचालन श्री योगेन्द्र व्योम और कृष्ण कुमार नाज़ ने किया |फोटो सौजन्य श्री योगेन्द्रव्योम |कार्यक्रम की अध्यक्षताश्री डी०पी० सिंह नेकिया था| कार्यक्रम में शानदार कवि गोष्ठी का भी आयोजन किया गया |जिया ज़मीर ने माहेश्वर जी पर एक नज़्म पोर्ट्रेट पर लिख कर भेंट किया | आयोजन को शानदार बनाया भाषा ,अक्षरा और भाई समीर तिवारी ने केक सजाकर चार केक पर चार पुस्तकों के नाम लिखे थे |हरसिंगार कोई तो हो ,सच की कोई शर्त नहीं ,नदी का अकेलापन और फूल आये हैं कनेरों में [चार नवगीत संग्रह तिवारी जी के हैं ]आयोजन अक्षरा साहित्यिक संस्था की ओर से किया गया था |कार्यक्रम में डॉ स्वदेश भटनागर ऋचा पाठक के साथ अन्य स्थानीय कवि मौजूद रहे | हम माहेश्वर जी के शतायु होने की कामना करते हैं |



माहेश्वर तिवारी के दो नवगीत संग्रह [दो ही मेरे पास उपलब्ध हैं ]

एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता

चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता सफ़र में धुंध सा बादल, कभी शजर आता इसी से चाँद मुक़म्मल नहीं नज़र आता बताता हाल मैं ...