Wednesday 19 October 2016

दो रचनाएँ -करवा चौथ -देख लेना तुम गगन का चाँद


चित्र -गूगल से साभार 

ये रचनाएँ दुबारा पोस्ट कर रहा हूँ सन २०१० में इन्हें पोस्ट कर चुका हूँ 
एक आज करवा चौथ का दिन है
आज करवा चौथ
का दिन है
आज हम तुमको संवारेंगे।
देख लेना
तुम गगन का चांद
मगर हम तुमको निहारेंगे।

पहनकर
कांजीवरम का सिल्क
हाथ में मेंहदी रचा लेना,
अप्सराओं की
तरह ये रूप
आज फुरसत में सजा लेना,
धूल में
लिपटे हुए ये पांव
आज नदियों में पखारेंगे।

हम तुम्हारा
साथ देंगे उम्रभर
हमें भी मझधार में मत छोड़ना,
आज चलनी में
कनखियों देखना
और फिर ये व्रत अनोखा तोड़ना ,
है भले
पूजा तुम्हारी ये
आरती हम भी उतारेंगे।

ये सुहागिन
औरतों का व्रत
निर्जला, पति की उमर की कामना
थाल पूजा की
सजा कर कर रहीं
पार्वती शिव की सघन आराधना,
आज इनके
पुण्य के फल से
हम मृत्यु से भी नहीं हारेंगे।

दो 
जमीं के चांद को जब चांद का दीदार होता है

कभी सूरत कभी सीरत से हमको प्यार होता है
इबादत में मोहब्बत का ही इक विस्तार होता है

तुम्हीं को देखने से चांद करवा चौथ होता है
तुम्हारी इक झलक से ईद का त्यौहार होता है

हम करवा चौथ के व्रत को मुकम्मल मान लेते हैं
जमीं के चांद को जब चांद का दीदार होता है

निराजल रह के जब पति की उमर की ये दुआ मांगें
सुहागन औरतों का स्वप्न तब साकार होता है

यही वो चांद है बच्चे जिसे मामा कहा करते
हकीकत में मगर रिश्तों का भी आधार होता है

शहर के लोग उठते हैं अलार्मों की आवाजों पर
हमारे गांव में हर रोज ही जतसार होता है

हमारे गांव में कामों से कब फुरसत हमें मिलती
कभी हालीडे शहरों में कभी इतवार होता है।
कवि -जयकृष्ण राय तुषार [स्वयं मैं ]


Sunday 2 October 2016

जिलाधिकारी इलाहाबाद संजय कुमार की इलाहाबाद संग्रहालय में त्रिदिवसीय फोटो प्रदर्शनी



जिलाधिकारी इलाहाबाद -श्री संजय कुमार [I.A.S.]
संजय कुमार जिलाधिकारी इलाहाबाद की पुस्तक 

जिलाधिकारी संजय कुमार के फोटोग्राफ 
पेशेवर फोटोग्राफर्स को भी मात देते हुए -आज प्रदर्शनी का समापन 

कला और साहित्य किसी  पेशे के  मोहताज नहीं होते |यह हुनर जिसमें भी होगा उसे अभिव्यक्त करेगा ही चाहे कितनी भी मुश्किल हो |आमतौर पर प्रशासनिक सेवाओं में काम के दबाव में यह उम्मीद नहीं की जाती कि कोई जिलाधिकारी अपने साहित्य और कला को समय दे सकता है |लेकिन इस असम्भव को सम्भव कर दिखाया श्री संजय कुमार जी ने जो जिलाधिकारी इलाहाबाद के पद पर तैनात हैं |विगत तीन दिनों से इलाहाबाद संग्रहालय में उनके फोटोग्राफ की प्रदर्शनी लगी है ,आज उसका समापन है |आज मैं भी गया संयोग वश उसी समय उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त आदरणीय न्यायमूर्ति संजय मिश्र जी और न्यायमूर्ति श्री पंकज मित्तल भी आये थे |जिलाधिकारी महोदय एक  पेशेवर फोटोग्राफर की तरह उनको चित्रों की बारीकियां समझा रहे थे | संग्रहालय में निदेशक राजेश पुरोहित जी और उत्तर प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता श्री सी ० बी ० यादव भी साथ में थे | संजू मिश्र ने जिलाधिकरी मोहदय की चित्रों की बुकलेट भी मुझे दिया |ये चित्र संगम से लेकर पर्वतों ,अभ्यारण्यों तक के हैं नदी ,समुद्र चिड़िया ,वन्य जीव सभी जीवंत हैं |स्वभाव से हंसमुख मिलनसार माननीय जिलाधिकारी के फोटोग्राफ किसी भी पेशेवर फोटोग्राफर को मात दे रहे हैं | संजय कुमार 2002 बैच के  I.A.S.हैं और मूलतः औरंगाबाद बिहार के निवासी हैं |

उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त को अपने फोटोग्राफ दिखाते संजय कुमार 
वन्य जीव -फोटोग्राफी संजय कुमार [I.A.S.]
पुस्तक के फ्लैप से -[ इलाहाबाद की पक्षी विविधता ]
भारतीय प्रशासनिक सेवा २००२ बैच के अधिकारी संजय कुमार को वन्य जीवन तथा उसके छायांकन में विशेष रूचि है |इन्होने देश तथा विदेशों के अनेक राष्ट्रीय उद्यानों का भ्रमण कर वन्यजीवों एवं प्रकृति का अनगिनत छायांकन किया है और बहुत कम समय में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है | इनके छायाचित्रों की कई प्रदर्शनियाँ भी आयोजित हुई हैं व् विभिन्न मंचों पर इनको छाया चित्रों के लिए पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जा चुका है |वन्य जीव विषय पर इनके अनेकों आलेख विभिन्न प्रतिष्ठित पर्यावरण एवं वन्य जीव पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं |

फोटो प्रदर्शनी में संजय कुमार जिलाधिकारी इलाहाबाद 


संजय कुमार के फोटोग्राफ प्रदर्शनी से साभार 
उपरोक्त सभी फोटोग्राफ जिलाधिकारी संजय कुमार जी के हैं प्रदर्शनी से साभार 


Saturday 1 October 2016

एक गीत -यह मुल्क हमारा सबको गले लगाता है

चित्र -गूगल से साभार 




एक गीत -यह मुल्क हमारा सबको गले लगाता है 

आना जी यह मुल्क हमारा 
सबको गले लगाता है |
दुनिया के हर सैलानी से 
इसका रिश्ता नाता है |

हिन्दू जैसे फूल कमल का 
मुस्लिम यहाँ गुलाब है ,
अपना हिन्दुस्तान 
समूची कायनात का ख़्वाब है ,
हिंसा नहीं सिखाता सूफ़ी 
गीत प्रेम के गाता है |

यह तीर्थों का देश 
पर्व सबको खुशहाली देते हैं ,
बोली -भाषा ,पंथ कई 
सब भारत माँ के बेटे हैं ,
विविध रंग वाला यह उपवन 
अनगिन फूल खिलाता है |

यह अब्दुल हमीद की माटी 
बलिदानों की गाथा है ,
भगत सिंह, आज़ाद 
तुम्हीं से इसका उन्नत माथा है ,
यह भटके- भूले लोगों को 
राह बताने आता है |

क्षमा मांग ले शत्रु अगर 
हम उसको गले लगाते हैं ,
संविधान से संकट में हम 
अपनी ताकत पाते हैं ,
अब कोई सम्राट नहीं 
जन भारत भाग्य विधाता है |


चित्र -गूगल से साभार 

एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता

चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता सफ़र में धुंध सा बादल, कभी शजर आता इसी से चाँद मुक़म्मल नहीं नज़र आता बताता हाल मैं ...