Monday 20 January 2014

एक गीत - अनकहा ही रह गया कुछ, रख दिया तुमने रिसीवर

चित्र -गूगल से साभार 
एक गीत --अनकहा ही रह गया कुछ 
अनकहा ही 
रह गया कुछ 
रख दिया तुमने रिसीवर |
हैं प्रतीक्षा में 
तुम्हारे 
आज भी कुछ प्रश्न- उत्तर |

हैलो ! कहते 
मन क्षितिज पर 
कुछ सुहाने रंग उभरे ,
एक पहचाना 
सुआ जैसे 
सिंदूरी आम कुतरे ,
फिर किले पर 
गुफ़्तगू
करने लगे बैठे कबूतर |

नहीं मन को 
जो तसल्ली 
मिली पुरवा डोलने से ,
गीत के 
अक्षर सभी 
महके तुम्हारे बोलने से ,
हुए खजुराहो -
अजंता 
युगों से अभिशप्त पत्थर |

कैनवस पर 
रंग कितने 
तूलिका से उभर आये ,
वीथिकाओं में 
कला की 
मगर तुम सा नहीं पाये ,
तुम हंसो तो 
हंस पड़ेंगे 
घर ,शिवाले, मौन दफ़्तर |

सफ़र में 
हर पल तुम्हारे 
साथ मेरे गीत होंगे ,
हम नहीं 
होंगे मगर ये 
रात -दिन के मीत होंगे ,
यही देंगे 
भ्रमर गुंजन 
तितलियों के पंख सुन्दर |
चित्र -गूगल से साभार 

15 comments:

  1. आपका बहुत -बहुत शुक्रिया आदरणीय डॉ मोनिका जी |

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  2. अति सुन्दर गीत...
    http://mauryareena.blogspot.in/
    :-)

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  3. वह कितना सुन्दर रूमान गीत

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (21-01-2014) को "अपनी परेशानी मुझे दे दो" (चर्चा मंच-1499) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. अति सुंदर गीत जिसके लिए रचा है, और अभिव्यक्त करने को क्या बचा है।

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  6. अहा, पढ़कर आनन्द आ गया। प्रतीकों का सुन्दर उपयोग भाव व्यक्त करने में।

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  7. आदरनीय प्रवीण पाण्डेय जी अग्रज अरविन्द मिश्र जी ,रीना जी,अमृता तन्मय जी भाई वाणभट्ट जी भदौरिया जी ,और आदरणीय शास्त्री जी आप सभी का उम्दा टिप्पणी देने के लिए बहुत -बहुत आभार

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  8. नए भाव.. नए बिम्ब .. लाजवाब बन गया ये गीत ...

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  9. बहुत सुन्दर गीत...
    ~सादर

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  10. मन के भावों से सजी मनभावन भावपूर्ण अभिव्यति...

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  11. पढ़कर आनन्द आ गया।

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