Thursday 2 May 2013

एक देशगान -मुखिया अपनी चुप्पी तोड़ो

एक गीत 
भारत का राष्ट्रीय ध्वज 

एक गीत -मुखिया अपनी चुप्पी तोड़ो  


मुखिया 
अपनी चुप्पी तोड़ो |
अब दुश्मन की 
बाँह मरोड़ो |

हिम्मत बढ़ती 
पाक- चीन की ,
तुम्हें नहीं 
चिंता जमीन की ,
भारत माँ के 
पुत्र करोड़ो |

रघुपति राघव 
अभी न गाओ .
संकट में है 
देश बचाओ ,
आंधी -तूफानों 
को मोड़ो |

हिन्दू ,मुस्लिम ,
सिक्खों जागो ,
देश एकता में 
फिर तागो ,
हर भारतवासी 
को जोड़ो |

उठो -उठो सिंहों 
ललकारो ,
अजगर को 
अब पंजे मारो ,
सिर को कुचलो 
ऑंखें फोड़ो |

8 comments:

  1. सुंदर आव्हान ...... हम सब चेतें

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  2. देशवासियों का आवाहन करती कविता।

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  3. बहुत सुन्दर. इसी की जरूरत है.

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (03-05-2013) के "चमकती थी ये आँखें" (चर्चा मंच-1233) पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. बहुत बढ़िया आह्वान !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    lateast post मैं कौन हूँ ?
    latest post परम्परा

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  6. बहुत अच्छी रचना के लिए बधाई !

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