Wednesday 16 January 2013

एक गीत -फिर नया दिनमान आया

चित्र -गूगल से साभार 
एक गीत -फिर नया दिनमान आया 
पर्वतों का 
माथ छूकर 
टहनियों का 
हाथ छूकर 
फिर नया दिनमान आया |
नया संवत्सर 
हमारे घर 
नया मेहमान आया |

सूर्यमुखियों के 
खिले चेहरे 
हमें भी दिख रहे हैं ,
कुछ नई 
उम्मीद वाले 
गीत हम भी लिख रहे हैं ,
ज़ेहन में 
भुला हुआ फिर से 
कोई उपमान आया |

पेड़ पर 
ऊंघते परिन्दे 
जाग कर उड़ने लगे हैं ,
नए मांझे 
फिर पतंगों की
तरफ बढ़ने लगे हैं ,
घना कोहरा 
चीरकर मन में 
नया  अरमान  आया |

नई किरणों 
से नई आशा 
नई उम्मीद जागे ,
पत्तियों के 
साथ ताज़े फूल 
गूँथे नए धागे ,
खुशबुओं का 
शाल ओढ़े 
फिर नया पवमान आया |

खूंटियों पर 
टंगे कैलेन्डर 
हवा में झूलते हैं ,
हम इन्हीं 
को देखकर 
बीता हुआ कल भूलते हैं ,
चलो मिलकर 
पियें काफ़ी 
किचन से फ़रमान आया |
[यह गीत दिनांक 28-01-2013 को दैनिक जागरण के सप्तरंग पुनर्नवा साहित्यिक पृष्ठ पर प्रकाशित हो गया है |हम सम्पादक व सुप्रसिद्ध कथाकार राजेन्द्र राव जी के विशेष आभारी हैं ]
चित्र -गूगल से साभार 

20 comments:

  1. सुन्दर मनभावन कविता ....... अविरल प्रवाहमयी .....

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  2. बहुत सुन्दर गीत तुषार जी....
    लयबद्ध और भावपूर्ण भी....

    सादर
    अनु

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  3. सार्थक और सटीक!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  4. उम्मीदों से भरी सुन्दर रचना। पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर। अच्छा लगा।
    ~ मधुरेश

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  5. मनमोहक गीत ....बहुत सुंदर

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  6. किचन का फरमान नजर अन्दाज न कर बैठियेगा, अरमान ढह जायेंगे।

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  7. किचनवाली को भी इस सुन्दर तट पर बुला लीजिये -कुर्सियाँ तो हैं ही 1

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  8. आदर्णीय भाई उदयवीर सिंह जी ,धीरेन्द्र जी ,अनु जी ,संगीता जी ,मयंक जी ,मधुरेश जी डॉ ० मोनिका जी ,भाई प्रवीण पाण्डेय जी ,आदरणीय प्रतिभा जी और भाई कालीपद प्रसाद जी उत्साहवर्धन हेतु आप सभी का बहुत -बहुत आभार |

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  9. नयी आस की किरणें बिखेरता हुआ खूबसूरत गीत ! बहुत अच्छा लगा पढ़कर!
    ~सादर!!!

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  10. वाह ... अनुपम भाव संयोजन

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  11. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति .....आप भी पधारो आपका स्वागत है मेरा पता है ...http://pankajkrsah.blogspot.com

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  12. पेड़ पर
    ऊंघते परिन्दे
    जाग कर उड़ने लगे हैं ,
    नए मांझे
    फिर पतंगों की
    तरफ़ बढ़ने लगे हैं ,
    घना
    कोहरा चीरकर
    मन में नया अरमान आया ..

    नवीन विचार ओर नए भाव लिए ... सुन्दर नवगीत है ... बधाई ...

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  13. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  14. दिनमान का मनमोहक फरमान..

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  15. ऋतु परिवर्तन की सुन्दर कविता

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  16. बहुत सुन्‍दर... प्रकृति परिवर्तन पर प्रभावपूर्ण प्रस्‍तुति।

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  17. आप सभी का इस कविता को पढ़कर मेरा उत्साहवर्धन करने हेतु बहुत -बहुत आभार |

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  18. मनभावन अहसासों का कलकल प्रवाह...बहुत सुन्दर

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