Saturday 20 October 2012

एक गीत -मुझको मत कवि कहना मैं तो आवारा हूँ

चित्र -गूगल से साभार 
एक गीत -
मुझको मत कवि कहना मैं तो आवारा हूँ 
ना कोई 
राजा हूँ 
ना मैं हरकारा हूँ |
यहाँ -वहाँ 
गाता हूँ 
मैं तो बंजारा हूँ |

साथ नहीं 
सारंगी 
ढोलक ,करताल नहीं ,
हमको 
सुनते पठार 
श्रोता वाचाल नहीं ,
छेड़ दें 
हवाएं तो 
बजता इकतारा हूँ |

धूप ने 
सताया तो 
सिर पर बस हाथ रहे ,
मौसम की 
गतिविधियों में 
उसके  साथ   रहे ,
नदियों में 
डूबा तो 
स्वयं को पुकारा हूँ |

झरनों का 
बहता जल 
चुल्लू से पीता हूँ ,
मुश्किल से 
मुश्किल क्षण 
हंस -हंसकर जीता हूँ ,
वक्त की 
अँगीठी में 
जलता अंगारा हूँ |

फूलों से 
गन्ध मिली 
रंग मिले फूलों से ,
रोज  -नए 
दंश मिले 
राह के बबूलों से ,
मौसम के 
साथ चढ़ा 
और गिरा पारा हूँ |

महफ़िल तो 
उनकी है 
जिनके सिंहासन हैं ,
हम तो 
वनवासी हैं 
टीले ही आसन हैं ,
मुझको मत 
कवि कहना 
मैं तो आवारा हूँ |
चित्र -गूगल से साभार 

17 comments:

  1. मेरा मुझको पाता न यारा
    मैं आवारा एक बंजारा
    .... बहुत खूब लिखा है जय कृष्ण जी

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  2. महफ़िल तो
    उनकी है
    जिनके सिंहासन हैं ,
    हम तो
    वनवासी हैं
    टीले ही आसन हैं ,
    मुझको मत
    कवि कहना
    मैं तो आवारा हूँ |
    Kya gazab kee panktiyan hain!

    ReplyDelete
  3. बहुत बढियां...
    महफ़िल तो
    उनकी है
    जिनके सिंहासन हैं ,
    हम तो
    वनवासी हैं
    टीले ही आसन हैं ,
    मुझको मत
    कवि कहना
    मैं तो आवारा हूँ |
    अति सुन्दर....
    :-)

    ReplyDelete
  4. वाह! हमेशा की तरह बेहतरीन।

    ReplyDelete
  5. वाह तुषार जी...
    बहुत सुन्दर...

    राह के बबूलों से ,
    मौसम के
    साथ चढ़ा
    और गिरा पारा हूँ |
    लाजवाब..

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  6. सरल सुमधुर गीत ,प्रशंसनीय राय साहब बहुत -२ बधाईयाँ जी l

    ReplyDelete
  7. सरल सुमधुर गीत ,प्रशंसनीय राय साहब बहुत -२ बधाईयाँ जी l

    ReplyDelete
  8. प्रकृति और भावनाओं का सुंदर सरल संगम...

    ReplyDelete
  9. बहुत ही सुन्दर और प्रभावी अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  10. bahut acchi abhiwayakti geeton ke madham se ...tushar jee ...

    ReplyDelete
  11. महफिल तो
    उनकी है
    जिनके सिंहासन हैं ,
    हम तो
    वनवासी हैं
    टीले ही आसन हैं ,
    मुझको मत
    कवि कहना
    मैं तो आवारा हूँ ।

    मन को स्पर्श करता सुंदर गीत।
    विजयादशमी की शुभकामनाएं।

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  12. महफ़िल तो
    उनकी है
    जिनके सिंहासन हैं ,
    हम तो
    वनवासी हैं
    टीले ही आसन हैं ,

    ...लाज़वाब पंक्तियाँ...बहुत सुन्दर गीत..

    ReplyDelete
  13. झरनों का
    बहता जल
    चुल्लू से पीता हूँ ,
    मुश्किल से
    मुश्किल क्षण
    हंस -हंसकर जीता हूँ ,
    वक्त की
    अँगीठी में
    जलता अंगारा हूँ |

    Tushar ji bahut sundar rachana padhwaya hai .......bina awargi ke kavita janm hi nahi ho sakata ....sadar abhar sir .

    ReplyDelete
  14. महफ़िल तो
    उनकी है
    जिनके सिंहासन हैं ,
    हम तो
    वनवासी हैं
    टीले ही आसन हैं ,
    मुझको मत
    कवि कहना
    मैं तो आवारा हूँ |
    ______________________

    कविता जब तक न होगी जब तक हम आवारा न होंगे। बन्धे होंगे तो कुछ न लिख पाऐंगे।

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  15. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,बहुत खूब ।

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