Saturday 3 March 2012

एक गीत होली -रँग -गुलालों वाला मौसम

पेन्टिंग -गूगल से साभार 
सभी ब्लॉगर मित्रों और पाठकों को होली की शुभकामनाएँ 
रंग -गुलालों वाला मौसम 
रंग -गुलालों-
वाला मौसम 
कोई मेरा गाल छू गया |
खुली चोंच से 
जैसे कोई पंछी 
मीठा ताल छू गया |

दूर हुई 
तनहाई मन की 
हम भी खिलने लगे फूल से ,
हुए डहेलिया 
और मोगरे कल तक 
थे जो दिन बबूल से ,
एक हवा का 
झोंका आया 
मुझे रेशमी बाल छू गया |

जाने क्या 
हो गया चैत में 
लगी देह परछाई बोने ,
पीले हाथ 
लजाती ऑंखें 
भरे दही गुड़ पत्तल -दोने ,
सागर 
खोया था लहरों में 
एक अपरिचित पाल छू गया |

छन्द प्रेम के 
रंग भींगते 
एक गीत के माने कितने ,
इस मौसम में 
लिखना मुश्किल 
हैं गोकुल ,बरसाने कितने ,
होरी गाना 
मैं भी भूला 
जाने कब करताल छू गया |

हुआ साँवला 
रंग सुनहरा 
देह कटार ,नयन में सपने ,
कामरूप का 
जादू -टोना 
इस मौसम में सब हैं अपने ,
कविता को 
वनलता सेन का 
हरा -भरा बंगाल छू गया |
चित्र -गूगल से साभार 
[वनलता से बांग्ला की चर्चित कवयित्री हैं ]

25 comments:

  1. आप सभी मित्रों को होली की बहुत -बहुत शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  2. Sundar rachana! Aapko holi bahut mubarak ho!

    ReplyDelete
  3. सुंदर गीत ... होली की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  4. होली पर बहुत सुन्दर गीत...हार्दिक बधाई..
    अब लगा कि फागुन आ गया.
    आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ...

    ReplyDelete
  5. होली की शुभकामनायें आपको...सुन्दर श्रंगार गीत...

    ReplyDelete
  6. बहुत ही बढ़िया
    सुन्दर प्रस्तुती
    _**_**happy holi _**_**

    ReplyDelete
  7. गीत का फागुनी रंग मन को रंग गया !
    आप को सपरिवार होली की अनंत शुभकामनाएँ !
    आभार !

    ReplyDelete
  8. वाह वाह वाह
    अतिसुन्दर गीत है

    और फोटो तो आप ऐसे छांट लाते हैं जिसे कि फोटो को देख कर ही गीत लिखा गया हो

    बधाई बधाई बधाई

    ReplyDelete
  9. इस भावप्रवण कविता के लिये हार्दिक बधाई, तुषार जी.
    जाने क्या
    हो गया चैत में
    लगी देह परछाई बोने ,
    पीले हाथ
    लजाती ऑंखें
    भरे दही गुड़ पत्तल -दोने

    जाने क्या छू गया इन पंक्तियों की कोर से.. . वाह !
    होली झूम कर खेल आइये. शुभेच्छाएँ.. .

    ReplyDelete
  10. बहुत सुंदर ....होली की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  11. होली के सुनहरे रंग बिखेर दिए हैं आपने ... आपको भी बधाई होली की ...

    ReplyDelete
  12. प्रेम रंग में डूबा हुआ मनभावन गीत।
    होली की शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  13. bahut hi sundar rachna ke liye badhai aur saath me holi ki dher sari shubhkamnayen.

    ReplyDelete
  14. खूबसूरत होली गीत के लिए बधाइयाँ...साथ ही रंगों के त्यौहार होली के लिए अग्रिम शुभकामनाएं...

    ReplyDelete
  15. रंगोत्सव पर आपको शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  16. बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,
    इंडिया दर्पण की ओर से होली की अग्रिम शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  17. इतना प्यारा और मनमोहक गीत कि मन करता है पढ़ते ही रहो ............
    होली के इस उपहार के लिए आभार और आपको होली की अशेष शुभकामनाये

    ReplyDelete
  18. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ...

    कल 07/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .

    धन्यवाद!


    '' होली की शुभकामनायें ''

    ReplyDelete
  19. इस कविता के अनूठे बिम्ब आकर्षित करते हैं ...
    १. खुली चोंच से जैसे कोई पंछी मीठा ताल छू गया|
    २. लगी देह परछाई बोने
    ३. ,सागर खोया था लहरों में एक अपरिचित पाल छू गया |
    ४. कविता को वनलता सेन का हरा -भरा बंगाल छू गया |
    अहा ... क्या प्रयोग है ... “कविता को वनलता सेन का हरा -भरा बंगाल छू गया |”
    आपकी कविताओं का फैन तो मैं था ही, इसबार तो लगा हुआ चित्र.... !

    ReplyDelete
  20. एक एक बिम्ब इतना कोमल इतना खूबसूरत ....बंगाल वाकई साहित्य की तपोभूमि है !!!!

    होली पर आपको ढेर सी शुभकामनायें ..सादर

    ReplyDelete
  21. **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
    *****************************************************************
    ♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
    ♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥



    आपको सपरिवार
    होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    *****************************************************************
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
    **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**

    ReplyDelete
  22. बहुत ही बढ़िया सर!

    आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सादर

    ReplyDelete
  23. "हुए डहेलिया
    और मोगरे कल तक
    थे जो दिन बबूल से ,"
    अति सुंदर ! प्रेम में पगी बहुत ही सुंदर रचना !

    होली मुबारक !

    ReplyDelete
  24. छन्द प्रेम के
    रंग भींगते
    एक गीत के माने कितने ,
    इस मौसम में
    लिखना मुश्किल
    हैं गोकुल ,बरसाने कितने ,
    होरी गाना
    मैं भी भूला
    जाने कब करताल छू गया

    तुषार जी, एक उत्कृष्ट गीत है यह।
    बहुत-बहुत बधाई !

    ReplyDelete
  25. वाह! धीरे-धीरे आप हमे अपना दीवाना बना देंगे।

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक ग़ज़ल -ग़ज़ल ऐसी हो

  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल - कभी मीरा, कभी तुलसी कभी रसखान लिखता हूँ  ग़ज़ल में, गीत में पुरखों का हिंदुस्तान लिखता हूँ  ग़ज़ल ऐसी हो जिसको खेत ...