Wednesday 17 August 2011

एक कविता -राजघाट पर राजव्यवस्था

महान जननायक -अन्ना हजारे 
राजघाट पर राजव्यवस्था
जिनका है 
ईमान हुए वो 
बन्दी कारागारों में | 
भ्रष्टाचारी 
पूजनीय हैं   
राजा के दरबारों  में |

अर्धरात्रि को 
मिली हमें ये आज़ादी 
कब भोर हुई ,
राजघाट पर 
राजव्यवस्था कैसे 
आदमखोर हुई ,
एक नहीं अब 
कई शकुनि हैं 
सत्ता के गलियारों में |

तानाशाही 
झुक जाती जब 
जनता आगे आती है ,
हथकड़ियों 
जेलों से कोई 
क्रांति कहाँ रुक पाती है ,
कहाँ अहिंसा से 
लड़ने की 
हिम्मत है तलवारों में |

फिर तिलस्म 
तोड़ेगा कोई 
हातिमताई आयेगा ,
अन्ना का 
यह अनशन निश्चित 
भ्रष्टाचार मिटाएगा ,
एक दिया भी 
जला अगर तो 
भय होगा अंधियारों में |
[यह कविता महान जननायक अन्ना हजारे को समर्पित ]

18 comments:

  1. बहुत ओजपूर्ण ... अच्छी प्रस्तुति

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  2. अन्ना जी को समर्पित यह कविता वास्तव में देश की सच्ची व्यथा है !
    आभार !

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  3. खूबसूरत प्रस्तुति ....

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  4. एक दिया भी जला अगर तो भय होगा अंधियारों में |

    वाह तुषार जी समय के अनुकूल एक दमदार गीत के लिए बहुत बहुत बधाई

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  5. राजघाट पर कर्फ़्यू की हालात बना दी थी।

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  6. प्रासंगिक और सार्थक प्रस्तुति ...

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  7. सारी की सारी व्यवस्था बदलने की ज़रूरत है...जब तक 'मै भी हूँ अन्ना' का जज्बा नहीं आएगा...बदलाव मुश्किल है...

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  8. ओजपूर्ण ..समसामयिक रचना

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  9. गीत पसंद करने के लिए आप सभी का आभार

    ReplyDelete
  10. गीत पसंद करने के लिए आप सभी का आभार

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  11. जिनका है
    ईमान हुए वो
    बन्दी कारागारों में |
    भ्रष्टाचारी
    पूजनीय हैं
    दिल्ली के दरबारों में |

    A perfect creation on present situation.

    .

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  12. ओजपूर्ण,प्रभावशाली कविता है |सार्थक अभिव्‍यक्ति |

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  13. बेहद सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  14. This comment has been removed by the author.

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  15. बिलकुल सही लिखा है आपने -एक दिया भी अगर जला तो .....सार्थक प्रस्तुति .आभार

    blog paheli no.1

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  16. जिनका है
    ईमान हुए वो
    बन्दी कारागारों में |
    भ्रष्टाचारी
    पूजनीय हैं
    दिल्ली के दरबारों में |
    क्या बात है ! मुखर अभिव्यक्ति , वरण शुभ का ..प्रयाण....निश्चलता की दिशा .../साधुवाद जी राय साहब ......../

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  17. तुषार जी नमस्कार, आपका ब्लाग पर आना लेखनी का उत्साह बढाता है। आपकी यह रचना देश के हालात वयां करती हुई। देख मेरी पोस्ट में मेरी एक तुकब्न्दी कविता नाम मेरा भ्रष्टाचार ,सर्वव्यापी हूं मै तो यार और अपने विचारों से अवगत कराएं । साभार्।

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