Thursday 23 June 2011

एक गीत-सन्दर्भ बेटियाँ

मेरी बेटी  -सौम्या राय 
यह गीत मेरी बेटी सौम्या सहित देश की सभी बेटियों को समर्पित हैं 

बेटियाँ तो भोर की 
पहली किरन सी हैं |
ये कभी थकती नहीं 
नन्हें हिरन सी हैं |

जिन्दगी में पर्व ये 
त्यौहार लाती  हैं ,
सुर्ख रँगोली बनाकर 
गीत गाती हैं ,
यज्ञ की वेदी यही 
पूजा- हवन सी हैं |

हँस पड़ें तो फूल 
रो दें झील होती हैं ,
ये अँधेरी रात में 
कंदील होती हैं ,
ये जमीनों ,आसमानों 
के मिलन सी हैं |

जब तलक होतीं 
पिता का घर सजातीं हैं ,
ये समय पे धूप 
घर में छाँव लती हैं ,
ये तपन में ग्रीष्म की 
शीतल पवन सी हैं |

18 comments:

  1. बेटियों से जुड़े कितने पावन भाव ...... एक पिता ही इन्हें शब्द दे सकते हैं......
    बड़ी प्यारी है आपकी सौम्या.... शुभकामनायें

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  2. कोमल और पवित्र भावों से सजी आपकी यह रचना बहुत अच्छी लगी

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  3. वाह कितनी सहज और अभिव्यक्ति क्षम सुन्दर सी कविता -बधाई!

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  4. हँस पड़ें तो फूल
    रो दें झील होती हैं ,
    ये अँधेरी रात में
    कंदील होती हैं ,

    क्या बात है

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  5. बहुत सुंदर नवगीत है। बधाई स्वीकार कीजिए। त्यौहार ‘लती’ को त्यौहार ‘लाती’ कर दीजिए।

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  6. धन्यवाद भाई धर्मेन्द्र जी टाइपिंग मिस्टेक की तरफ हमारा ध्यान खींचने के लिये |

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  7. Pyari beti ke jaisi pyari rachana aabhar

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  8. बेटियां वाकई दिल के सबसे करीब होतीं हैं...बेहद संयत शब्दों में बेटियों का महत्व बखान करने के लिए...धन्यवाद...

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  9. आपकी बेटी सौम्या बहुत प्यारी है! बहुत सुन्दर और कोमल भाव से लिखी हुई आपकी ये रचना प्रशंग्सनीय है! बेहतरीन प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  10. पावन भाव जगाती पंक्तियां.......
    सौम्या को शुभकामनायें ......

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  11. 'हँस पड़ें तो फूल

    रो दें झील होती हैं

    ये अँधेरी रात में

    कंदील होती हैं '

    ...............वाह तुषार भाई .....रचना का हर बंद भावपूर्ण

    ............ह्रदयस्पर्शी रचना ने आँखें नम कर दीं

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  12. बेटियाँ तो भोर की
    पहली किरन सी हैं ।
    ये कभी थकती नहीं
    नन्हें हिरन सी हैं ।

    बहुत प्यारी रचना।
    बेटियां दो परिवारों को मिलाती है,
    और बेटे एक परिवार को दो बना देते हैं।

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  13. हँस पड़ें तो फूल
    रो दें झील होती हैं ,
    ये अँधेरी रात में
    कंदील होती हैं ,
    ये जमीनों ,आसमानों
    के मिलन सी हैं |

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  14. बहुत सुन्दर रचना.बिटिया को प्यार और स्नेह.

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  15. बेटियों पर इस से बढ़िया रचना पढने को नहीं मिली.... भाव विभोर कर गई रचना...

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