Monday 2 May 2011

एक गीत -इस दुरूह मौसम में

चित्र -गूगल सर्च इंजन से साभार 
इस दुरूह मौसम में 

इस दुरूह 
मौसम में खुशबू ,
फूलों का खिलना |
प्यासे हिरना को 
मरुथल  में 
झीलों का मिलना |

उमस भरे 
मौसम लू -लपटों में 
आलस जीते ,
एक पत्र 
लिखने में मुझको 
दिन कितने बीते ,
शाम ढले 
मखमली घास पर 
पाँवों का जलना |

अनदेखा सा 
कोई छत  पर 
दुनियाँ देख रहा ,
कोई मद्धम -
आंच तवे पर 
रोटी  सेंक रहा ,
देख रही माँ 
घुटने के बल 
बच्चे का चलना |

बहुत दिन हुए 
पगडंडी पर 
मिली न टूटी पायल ,
बहुत दिन हुए 
देखे तिरछी 
आँखों का काजल ,
किसी मोड़ पर 
आँखों का झुकना 
झुककर मिलना |

आदमकद 
दरपन में कोई 
टिकुली साट गया ,
अपने हिस्से का 
सारा सुख 
हमको बाँट गया ,
सीख गए 
हम कानाफूसी 
होठों का सिलना |

मेरे गीत 
हवा बनकर 
हर मौसम बहते हैं ,
झाँको तो 
जैसे झीलों में 
बादल रहते हैं ,
उंघते हुए 
कमल फूलों का 
लहरों पर हिलना |
चित्र -गूगल सर्च इंजन से साभार 

11 comments:

  1. बहुत दिन हुए
    पगडंडी पर
    मिली न टूटी पायल ,
    बहुत दिन हुए
    देखे तिरछी
    आँखों का काजल ,
    किसी मोड़ पर
    आँखों का झुकना
    झुककर मिलना |

    आदमकद
    दरपन में कोई
    टिकुली साट गया ,
    अपने हिस्से का
    सारा सुख
    हमको बाँट गया ,
    सीख गए
    हम कानाफूसी
    होठों का सिलना |
    Bahut,bahut sundar!

    ReplyDelete
  2. खूबसूरत गीत .. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  3. अद्भुत...अद्भुत...वाह...बहुत सुन्दर भावों को शब्दों दिए हैं आपने...आपके लेखन का कमाल है ये...बहुत ही अच्छी रचना..बधाई स्वीकारें

    नीरज

    ReplyDelete
  4. खूबसूरत गीत...सुन्दर प्रस्तुति...बधाई.

    ReplyDelete
  5. उमस भरे
    मौसम लू -लपटों में
    आलस जीते ,
    एक पत्र
    लिखने में मुझको
    दिन कितने बीते ,
    शाम ढले
    मखमली घास पर
    पाँवों का जलना |



    अनदेखा सा
    कोई छत पर
    दुनियाँ देख रहा ,
    कोई मद्धम -
    आंच तवे पर
    रोटी सेंक रहा ,
    देख रही माँ
    घुटने के बल
    बच्चे का चलना |



    वाह वाह
    लाजवाब
    कमाल करते हैं,,, क्या जादूगरी है

    बेमिसाल

    ReplyDelete
  6. आदमकद
    दरपन में कोई
    टिकुली साट गया ,
    अपने हिस्से का
    सारा सुख
    हमको बाँट गया ,
    सीख गए
    हम कानाफूसी
    होठों का सिलना |

    सुन्दर कोमल अहसास...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना

    ReplyDelete
  7. shbdon ko kya khoobsurati se gutha hai aapne..kuch rang khil se gaye phir !

    ReplyDelete
  8. आप सभी का हृदय से आभार ब्लॉग पर आने और अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए |

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर खूबसूरत गीत ..ह्रदय में उतर गयी...

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक ग़ज़ल -ग़ज़ल ऐसी हो

  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल - कभी मीरा, कभी तुलसी कभी रसखान लिखता हूँ  ग़ज़ल में, गीत में पुरखों का हिंदुस्तान लिखता हूँ  ग़ज़ल ऐसी हो जिसको खेत ...