Thursday 5 August 2010

मेरी दो ग़ज़लें

चित्र -गूगल सर्च इंजन  से साभार 
एक 
सलीका बांस को बजने का जीवन भर नहीं होता।
बिना होठों के वंशी का भी मीठा स्वर नहीं होता॥


ये सावन गर नहीं लिखता हसीं मौसम के अफसाने।
कोई भी रंग मेंहदी का हथेली पर नहीं होता॥


किचन में मां बहुत रोती है पकवानों की खुशबू में।
किसी त्यौहार पर बेटा जब उसका घर नहीं होता॥


किसी बच्चे से उसकी मां को वो क्यों छीन लेता है।
अगर वो देवता होता तो फिर पत्थर नहीं होता ॥


परिंदे वो ही जा पाते हैं ऊंचे आसमानों तक।
जिन्हें सूरज से जलने का तनिक भी डर नहीं होता॥




चित्र -गूगल से साभार 


दो 
नये घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो,
दिया बनकर वहीं से मां हमेशा रोशनी देगी।


ये सूखी घास अपने लान की काटो न तुम भाई,
पिता की याद आयेगी तो ये फिर से नमी देगी।


फरक बेटे  औ बेटी  में है बस महसूस करने का,
वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चांदनी देगी।


ये मां से भी अधिक उजली इसे मलबा न होने दो,
ये गंगा है यही दुनिया को फिर से जिंदगी देगी॥

37 comments:

  1. किचन में मां बहुत रोती है पकवानों की खुशबू में।
    किसी त्यौहार पर बेटा जब उसका घर नहीं होता॥
    in panktiyon ne man ko chhoo liya

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  2. किचन में मां बहुत रोती है पकवानों की खुशबू में।
    किसी त्यौहार पर बेटा जब उसका घर नहीं होता॥
    Beta aur usse adhik beti! Kitna komal bhaav hai..meri to aankh bheeg gayi..

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  3. Kyaa baat hai saaheb !! Behtareen ghazaleN haiN ... Bahut khoob !!

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  4. dear Jupitor ji,
    किचन में मां बहुत रोती है पकवानों की खुशबू में।
    किसी त्यौहार पर बेटा जब उसका घर नहीं होता॥
    the above line is very excellent and touch the heart of any one,
    thanks a lot to you.Please contact to me at my mobile, perhaps you remember the days of Bardah Azamgarh.

    your's
    Rajesh Tiwari(suddu)
    Gail India Ltd
    Mob. 9639005178

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  5. bahut hi sundar abhivykti priyanka

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  6. very nice manjula rai

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  7. tushar ji badhai yash malviya

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  8. ye ghazlen man ko chhoo gayin sandhya sri

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  9. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...बधाई.

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  10. achchhee kahee Tushar. tum gazalen achchhee kah lete ho. badhaai

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  11. बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने उम्दा रचना लिखा है! बधाई!

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  12. सलीका बांस को बजने का जीवन भर नहीं होता।
    बिना होठों के वंशी का भी मीठा स्वर नहीं होता॥

    क्या बात है ......!!

    ये सावन गर नहीं लिखता हसीं मौसम के अफसाने।
    कोई भी रंग मेंहदी का हथेली पर नहीं होता॥

    बहुत खूब ......!!

    किचन में मां बहुत रोती है पकवानों की खुशबू में।
    किसी त्यौहार पर बेटा जब उसका घर नहीं होता॥

    लाजवाब ......!!

    किसी बच्चे से उसकी मां को वो क्यों छीन लेता है।
    अगर वो देवता होता तो फिर पत्थर नहीं होता ॥

    बेहद सटीक .....

    परिंदे वो ही जा पाते हैं ऊंचे आसमानों तक।
    जिन्हें सूरज से जलने का तनिक भी डर नहीं होता॥

    अद्भुत ....!!

    .हर शे'र मुकम्बल ...अपनी दस्तखत देता हुआ .....बस कम हैं तारीफ के लफ्ज़ .....!!

    (२)
    नये घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो,
    दिया बनकर वहीं से मां हमेशा रोशनी देगी।

    ये सूखी घास अपने लान की काटो न तुम भाई,
    पिता की याद आयेगी तो ये फिर से नमी देगी।

    फरक लड़के औ लड की में है बस महसूस करने का,
    वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चांदनी देगी।

    ये मां से भी अधिक उजली इसे मलबा न होने दो,
    ये गंगा है यही दुनिया को फिर से जिंदगी देगी॥

    वाह....वाह....वाह.......!!

    हर शे'र अपनी गवाही खुद दे रहा है ......बेमिसाल .....!!

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  13. किचन में मां बहुत रोती है पकवानों की खुशबू में।
    किसी त्यौहार पर बेटा जब उसका घर नहीं होता
    बहुत ही खूबसूरत लिखा है ...शुभकामनाये
    मेरे ब्लॉग पर इज्जत अफजाई का बहुत शुक्रिया.

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  14. हरेक अशार तेरा खूबसूरत है रफीक....
    एक की तारीफ़ दूसरे की तौहीन होगी!!!!
    बाऊ जी,
    स्वाद आ गया!
    -------------------------
    फिल्लौर फ़िल्म फेस्टिवल!!!!!

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  15. ये सूखी घास अपने लान की काटो न तुम भाई,
    पिता की याद आयेगी तो ये फिर से नमी देगी।

    ...बड़ी दूर की बात कह दी...पसंद आई ग़ज़लें.

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  16. यह तो बहुत अच्छी गजल है...

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  17. मंगलवार 10 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  18. आप सबने मेरी गजलेँ पसन्द की ।इसके लिए मैँ दिल से आभारी हूँ।

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  19. आपकी दोनो गजलें काफी प्यारी लगी।

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  20. आपकी दोनो गजलें काफी प्यारी लगी।

    ReplyDelete
  21. किचन में मां बहुत रोती है पकवानों की खुशबू में।
    किसी त्यौहार पर बेटा जब उसका घर नहीं होता॥

    Wah kya bat hai Tushar ji, badi hi suchm bhavnao ko pakada hai aapne, badhai, subhkamnao ke sath...
    amit

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  22. सलीका बांस को बजने का जीवन भर नहीं होता।
    बिना होठों के वंशी का भी मीठा स्वर नहीं होता॥

    किचन में मां बहुत रोती है पकवानों की खुशबू में।
    किसी त्यौहार पर बेटा जब उसका घर नहीं होता॥

    किसी बच्चे से उसकी मां को वो क्यों छीन लेता है।
    अगर वो देवता होता तो फिर पत्थर नहीं होता ॥

    परिंदे वो ही जा पाते हैं ऊंचे आसमानों तक।
    जिन्हें सूरज से जलने का तनिक भी डर नहीं होता॥

    बेहतरीन ग़ज़लें
    ________________

    नये घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो,
    दिया बनकर वहीं से मां हमेशा रोशनी देगी।

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  23. bahut hi sundar rachna...
    simply nice......

    Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

    A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..

    Banned Area News : Tamil Nadu Chief Minister accords sanction for 5 drinking water projects

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  24. tushar ji,
    achhi ghazalon ke liye badhai!

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  25. Dono hi gajalen dil ko choo gayi ..har sher apne aap men bahut hi khubsurat hai..bahut2 badhai

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  26. tusharji bahut hi sundar rachana badhai

    ReplyDelete
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    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

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  28. नये घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो,
    दिया बनकर वहीं से मां हमेशा रोशनी देगी।

    ये सूखी घास अपने लान की काटो न तुम भाई,
    पिता की याद आयेगी तो ये फिर से नमी देगी।

    रचना पर क्या कहूँ! निशब्द हूँ.शुभकामनायें.

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  29. sir ..aap to kamaal ka likhte hai..pahli baar aayi..accha laga..har pankti par 'waah' hai!

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  30. सुन्दर अभिव्यक्ति |

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  31. पुरानी रचनाएँ तलाश रही थी..ये गज़लें पायीं..बहुत बहुत सुन्दर...सभी शेर एक से बढ़ कर एक...
    बधाई..

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