Friday 7 May 2010

गजल : वो एक खत है

चित्र -गूगल से साभार 


एक गज़ल -वो चुप रहे खुदा की तरह 

उसी के कदमों की आहट सुनाई देती है
कभी-कभार वो छत पर दिखाई देती है

मैं उससे बोलूं तो वो चुप रहे खुदा की तरह
मैं चुप रहूं तो खुदा की दुहाई देती है

वो एक खत है जिसे मैं छिपाये फिरता हूं
जहां खुलूस की स्याही दिखाई देती है

तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
वो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है

वो एक बच्ची खिलौनों को तोड  कर सारे
बड़े सलीके से मां को सफाई देती है

जयकृष्ण राय तुषार

18 comments:

  1. तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
    वो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है
    बहुत सुन्दर मन खुश को गया

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  2. तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
    वो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है


    kya bat he ab dil kahta he chudi wala ban jau

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  3. Behtreen gazal hai.badhai tusharji shubhra rai

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  4. बहुत ख़ूबसूरत और शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

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  5. मैं उससे बोलूं तो वो चुप रहे खुदा की तरह
    मैं चुप रहूं तो खुदा की दुहाई देती है

    तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
    वो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है

    बोलने के लिये कुछ छोडा ही नहीं भाई...

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  6. Bahut hi badiya ghazal...
    Talented :)
    Saari lines bahut khoobi se likhi hai par mujhe yeh wali best lagi...

    "उसी के कदमों की आहट सुनाई देती है
    कभी-कभार वो छत पर दिखाई देती है

    मैं उससे बोलूं तो वो चुप रहे खुदा की तरह
    मैं चुप रहूं तो खुदा की दुहाई देती है"

    Regards,
    Dimple

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  7. वो एक बच्ची खिलौनों को तोड कर सारे
    बड़े सलीके से मां को सफाई देती है

    ...बहुत सुन्दर ...शानदार अभिव्यक्तियों के लिए बधाई !!

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  8. तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
    वो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है
    ____________________
    अब इससे आगे क्या कहें तुषार जी. आपने खुद ही कह दिया.लाजवाब.

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  9. बहुत सुन्दर लिखा अंकल जी.

    आज मदर्स डे है...बधाई.

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  10. मेरे ब्लॉग पर पधारने का शुक्रिया ...बहुत सुंदर रचनाएं हैं आपकी

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  11. BHAI MANN GAY AAP KO KAYA KAVITA LIKI HAI ...... MAI IS KAVITA KO ESI ANUBHUTI MANO YEKAVITA ABHI LIKI HO......

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  12. BHAI MANN GAY AAP KO KAYA KAVITA LIKI HAI ...... MAI IS KAVITA KO ESI ANUBHUTI MANO YEKAVITA ABHI LIKI HO......

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  13. TANVIMISHRA9GMAIL.COM9 May 2010 at 17:25

    BHAI MANN GAY AAP KO KAYA KAVITA LIKI HAI ...... MAI IS KAVITA KO ESI ANUBHUTI MANO YEKAVITA ABHI LIKI HO......

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  14. वो एक बच्ची खिलौनों को तोड कर सारे
    बड़े सलीके से मां को सफाई देती है
    वाह! क्या खूब !
    बहुत अच्छी गज़ल कही है.

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