Wednesday 28 April 2010

भारत-पाक मैत्री के लिए



हिन्दी में कहें या कहें उर्दू में ग़ज़ल हो
ऐ दोस्त गले मिल तो हरेक बात का हल हो


आंखों में मेरे देख तू लाहौर, कराची
जब ख़्वाब तू देखे तो वहां ताजमहल हो


तू फूल की खुश्बू का दीवाना है तो मैं भी
अब कौन चाहता है कि कांटों की फसल हो


हम भेज रहे हैं खत में गुलाबों की पंखुरियां
अब तेरा भी खत आये तो खुश्बू हो कंवल हो


तू ईद मना हम भी मना लेंगे दीवाली
जज़्बात का मसला है ये जज़्बात से हल हो


हम इससे आचमन करें या तू वजू करे
झेलम का साफ पानी हो या गंगा का जल हो


इस चांद को देखें चलो रंजिश को भुला दें
जो बात मोहब्बत की है उसपे तो अमल हो


ऐ दोस्त अगर सुबह का भूला है तो घर आ
कुछ आंख मेरी भीगें कुछ तेरी सजल हो


इक रोज तेरे घर पे तबीयत से मिलेंगे
ये धुंध हटे राह से कुछ राह सरल हो


यह गजल अक्षर पर्व 'उत्सव अंक' २००८ में प्रकाशित हो चुकी है।

6 comments:

  1. Tusharji bahut achchhi gazal hai

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  2. एक बेहतरीन गजल तुषार जी बधाई । अनामिका

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  3. Aapki kavita padhi. hriday vihval ho utha. man ke pankh desh prem ke aasman me vichran karne laga.

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  4. meher wan rathore14 May 2010 at 21:02

    Appki kavita padhi, deshprem ki advitiya bhavanaye is kavita ki shan hai. meher wan

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  5. Bahut achi rachna...bahut-bahut badhai..

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