चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल -
चित्र साभार गूगल |
(कृपया बिना अनुमति के इस ब्लॉग में प्रकाशित किसी भी अंश का किसी भी तरह से उपयोग न करें)
चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल -
चित्र साभार गूगल |
चित्र -गूगल से साभार |
चित्र -गूगल से साभार |
चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता
सफ़र में धुंध सा बादल, कभी शजर आता
इसी से चाँद मुक़म्मल नहीं नज़र आता
बताता हाल मैं दरियाओं के परिंदो का
मुझे भी नाव चलाने का कुछ हुनर आता
शहर में खिड़कियाँ, पर्दे हैं आसमान कहाँ
हमारे गाँव में सूरज सुबह ही घर आता
तमाम रेत है, दरिया न पेड़ का साया
हमारी राह में कैसे कोई बशर आता
मकान रिश्ते भी पुरखों के बाँट डाले गए
खिलौना देख के बच्चा नहीं इधर आता
कवि /शायर
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
सभी चित्र साभार गूगल
चित्र साभार गूगल |
एक गीत -इस चिड़िया के उड़ जाने पर
चित्र साभार गूगल |
यह गीत 24 मार्च को अमर उजाला के मनोरंजन पृष्ठ पर प्रकाशित हो गया |
एक होली गीत -रंग वो क्या जो छूट गया
बरसाने की लट्ठमार होली चित्र साभार गूगल |
माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी |
एक गीत -बजता सुन्दर इकतारा है
चित्र साभार गूगल |
चित्र साभार गूगल |
स्मृतिशेष कथा लेखिका उषाकिरण खां |
इस ग़ज़ल के मतले का शेर कथा लेखिका उषाकिरण खां को समर्पित है
एक ग़ज़ल -मैंने दिल से कुछ कहा
चित्र साभार गूगल |
चित्र साभार गूगल |
संगम शाही स्नान चित्र साभार गूगल |
आज मौनी अमावस्या का पावन स्नान पर्व है सभी कल्पवासियों, स्नानर्थियों को शुभकामनायें.माँ गंगा, यमुना, सरस्वती सबका कल्याण करें.
एक पुरानी ग़ज़ल
फक़ीरों की तरह धूनी रमाकर देखिए साहब
तबीयत से यहाँ गंगा नहाकर देखिए साहब
यहाँ पर जो सुंकू है वो कहाँ है भव्य महलों में
ये संगम है यहाँ तम्बू लगाकर देखिए साहब
हथेली पर उतर आयेंगे ये संगम की लहरों से
मोहब्बत से परिंदो को बुलाकर देखिए साहब
ये गंगा फिर बहेगी तोड़कर मजबूत चट्टानें
जो कचरा आपने फेंका हटाकर देखिए साहब
कवि /शायर
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
चित्र साभार गूगल |
एक गीत -मन की खुशबू कहाँ पुरानी होती है
मन की
खुशबू कहाँ
पुरानी होती है.
चित्रों की
भी प्रेम -
कहानी होती है.
फूल नहीं
देखा
खुशबू पहचान गया,
भौँरा
जंगल, बस्ती
सबको जान गया,
फागुन की
हर शाम
सुहानी होती है.
वंशी की
आवाज़
नदी की लहरों में,
अक्सर
चाँद रहा
मेघोँ के पहरों में,
आँखों की
भी बोली
बानी होती है.
पहली-
पहली भेंट
युगों के किस्से हैं '
धूप -छाँह
सुख दुःख
जीवन के हिस्से हैं,
किस्मत वाली
बिटिया
रानी होती है.
कवि /गीतकार
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
चित्र साभार गूगल एक ग़ज़ल - कभी मीरा, कभी तुलसी कभी रसखान लिखता हूँ ग़ज़ल में, गीत में पुरखों का हिंदुस्तान लिखता हूँ ग़ज़ल ऐसी हो जिसको खेत ...